मुंबई (Mumbai) में बुधवार को खसरे (Measles) के चार नए मामले सामने आए जिससे कुल मरीज़ों की संख्या बढ़कर 531 हो गई. मध्य मुंबई के मदनपुरा इलाके में नौ साल का बिना टीकाकरण वाले एक लड़के की 22 दिसंबर को मौत हो गई थी. यह इस बीमारी से मौत का नवीनतम संदिग्ध मामला था. इस साल जनवरी से अब तक इस बीमारी से नौ लोगों की जान जा चुकी है जबकि मौत के सात ऐसे संदिग्ध मामले हैं जिनकी पुष्टि अभी बाकी है.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (Municipal Corporation Greater Mumbai) के अनुसार बुधवार को दिन में 23 बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया और 26 को छुट्टी दी गयी. 15 दिसंबर से विभाग ने 28 दिनों के अंतराल में 9 महीने से पांच साल तक के बच्चों को खसरा और रूबेला के टीके की अतिरिक्त खुराक देने के लिए एक विशेष अभियान चलाया. इस अभियान के तहत, 14,920 अतिरिक्त टीकाकरण सत्रों के माध्यम से 62,940 पहली खुराक और 61,527 दूसरी खुराक बच्चों को दी गई.
एक आंकड़े के मुताबिक साल 2021 में दुनियाभर में खसरे के अनुमानित 90 लाख मामले सामने आए थे और 128,000 मौतें हुईं. 22 देशों ने बड़े और भयंकर प्रकोप का सामना किया. टीके के कवरेज में कमी, खसरे की निगरानी में कमी और COVID-19 के साथ-साथ 2022 में लगातार बड़े प्रकोपों के कारण टीकाकरण में रुकावट और देरी का मतलब है कि दुनिया के हर क्षेत्र में खसरा एक खतरा है.
बता दें, खसरा एक बेहद संक्रामक बीमारी है, जो ‘पैरामाइक्सोवायरस’ नाम के वायरस से फैलती है. अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो थूक के कणों के जरिए वायरस आ जाता है और आसपास फैल जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) का कहना है कि 1963 में खसरे की वैक्सीन आने से पहले तक ये बीमारी बहुत खतरनाक थी. हर दो-तीन साल में ये महामारी बन जाती थी और इससे हर साल 26 लाख मौतें होती थीं. हालांकि, वैक्सीनेशन ने इस बीमारी को कंट्रोल कर दिया.
खसरे का कोई ठोस इलाज नहीं है. ज्यादातर मरीज सामान्य इलाज से ही ठीक हो जाते हैं. लेकिन वैक्सीनेशन से इससे बचा जा सकता है. इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है, खासकर उन्हें जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है. भारत में खसरा-रूबेला की वैक्सीन दी जाती है. इसकी पहली डोज तब दी जाती है जब बच्चे की उम्र 9 से 12 महीने की होती है और दूसरी डोज 16 से 24 महीने के बीच दी जाती है. अगर बचपन में वैक्सीन ले ली है तो जीवनभर खसरे से सुरक्षित हो जाते हैं.
इसके अलावा जिन बच्चों में विटामिन-ए की कमी होती है, उन्हें भी खसरे का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. मुंबई में बच्चों को विटामिन-ए की वैक्सीन की दो डोज दी जा रही है. क्योंकि संक्रमित होने पर शरीर डिहाइड्रेट होने लगता है और विटामिन-ए का स्तर गिर जाता है.
WHO के मुताबिक, खसरे की चपेट में आने पर सबसे पहले तेज बुखार आता है. इसके लक्षण दिखने में 10 से 12 दिन का समय लग सकता है.
इससे संक्रमित होने पर नाक बहती रहती है, कफ बना रहता है, आंखों से पानी आता है, आंखें लाल हो जाती हैं, मुंह-गले और हाथ-पैर पर दाग नजर आते हैं.
खसरा बेहद संक्रामक बीमारी है और खतरनाक भी. WHO का कहना है कि दुनियाभर में वैक्सीनेशन के बावजूद हर साल खसरे से लाखों मौत होती हैं. पिछले साल ही दुनियाभर में खसरे के 90 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे और 1.28 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. 22 देश ऐसे थे जहां खसरे का प्रकोप सबसे ज्यादा था. खसरा से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह इस बीमारी से होने वाली जटिलताएं हैं. 5 साल से छोटे बच्चे और 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में जटिलताएं आम हैं.
मौत होने का खतरा तब ज्यादा बढ़ जाता है जब मरीज को गंभीर बीमारी हो जाती है. गंभीर बीमारी होने पर अंधापन, एन्सेफ्लाइटिस (Encephalitis), गंभीर डायरिया, डिहाइड्रेशन, कानों में संक्रमण, सांस लेने में दिक्कत या निमोनिया हो सकता है. गंभीर संक्रमण होने का खतरा उन बच्चों को है, जिन्हें सही पोषण नहीं मिल रहा हो, विटामिन-ए की कमी हो या फिर एचआईवी एड्स या दूसरी बीमारी से इम्युन सिस्टम कमजोर हो गया हो.खसरे का भले ही ठोस इलाज न हो, लेकिन वैक्सीनेशन से बचा जा सकता है. इसलिए वैक्सीन जरूर लें. अगर खसरे से संक्रमित हैं तो डॉक्टर 24 घंटे के अंतराल पर विटामिन-ए वैक्सीन की दो डोज देते हैं, ताकि विटामिन-ए का स्तर बना रहे. विटामिन-ए की कमी होने से अंधापन हो सकता है या फिर आंखों को नुकसान पहुंच सकता है.